नादान जग समझे खुद को पुरुष-प्रधान, यही बड़ी बिमारी हैं । जब जगह जगह पर, कदम कदम पर भारी सब पर नारी हैं।। हीरे-मोती धन सम्पदा, लक्ष्मी रूप में नारी हैं । शक्ति रूप में काली-अम्बिका, सिंह सवारी नारी हैं ।। इस धरा पे तुम्हारे आने की, वजह बनी कोई नारी हैं । जीवन के हर पग पर, ढाल तुम्हारी नारी हैं।। भूख लगे तो पेट भरे जो, माँ वो तुम्हारी नारी हैं। चोट लगे तो दवा करे जो, बहन तुम्हारी नारी हैं।। सुख-दुःख में जो साथ निभाती, जीवन-संगिनी नारी हैं। कन्यादान का पुण्य तुमको,दिलाने वाली नारी हैं ।। जीवन में जो पाना चाहते, हर चाह तुम्हारी नारी हैं। रिद्धि सिद्धि या प्रसिद्धि, हर शब्द में नारी हैं ।। कहो पूजा या दुआ उसे तुम, कर्म रूप में नारी हैं। हंसी ख़ुशी या प्रसन्नता, हर भाव-शब्द में नारी हैं।। हे उमा,रमा,ब्रह्माणी ! कोटि-कोटि नमन हैं तुझको। जीवन रूपी इस गाड़ी की, धुरी हमेशा नारी हैं।। जगह-जगह पर, कदम-कदम पर भारी सब पर नारी हैं।
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुए में उडाता चला गया बरबादीयों का सोग मनाना फिजूल था बरबादीयों का जश्न मनाता चला गया जो मिल गया उसी को मुकद्दर समाज लिया जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया गम और खुशी में फर्क ना महसूस हो जहा मैं दिल को उस मकाम पे लाता चला गया"